छात्र भी उपभोक्ता
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उसे उपभोक्ता माना गया है जो किसी सेवा या वस्तु को शुल्क देकर प्राप्त करे या भविष्य में उसके लिए शुल्क भुगतान का वादा करे। शिक्षा के लिए छात्र शुल्क जमा करवाते हैइसके लिए उनकी परीक्षा ली जाती है। तो परिणाम दिए जाने की सेवाएं प्रदान करनी होती है या डिग्री प्रदान करनी होती है। यदि ऐसी सेवाए प्रदान नहीं की जाती है तो उसे सेवाओं में कमी माना जाएगा। हाल में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली ने एक प्रकरण में एकविधि छात्र ने समस्त शुल्क का भुगतान किया और समस्त परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। ठाव टारा अशार्ट पतिजनल डिग्री की मांग की गई लेकिन छात्र को ऐसी डिग्री से अनकार कर दिया गया। इस पर छात्र द्वारा उपभोक्ता न्यायालय में मामला पेश किया गया। प्रकरण खारिज कर दिया गयाइस पर प्रार्थी ने राष्ट्रीय आयोग में अपील पेश की। राष्ट्रीय आयोग क अदा करने पर उसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता की परिभाषा में तथा विश्वविद्यालय की सेवाओं को सेवा में शामिल माना। उक्त प्रकरण में राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रार्थी को हए नुकसान की क्षतिपूर्ति पेटे 50,000 रूपए दो माह में देने, अन्यथा 12 प्रतिशत ब्याज देने के आदेश दिए गए। बतौर हर्जे-खर्जे 2000 रूपए देने के भी आदेश पारित किए गए।
क्षतिपूर्ति कम नहीं की __ जा सकती
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता द्वारा जिला मंच के समक्ष या राज्य आयोग के समक्ष यदि कोई शिकायत की जाती है और ऐसे न्यायालय द्वारा पूर्णतः बिन्दुओं का निस्तारण कर प्रार्थी उपभोक्ता को कोई क्षतिपूर्ति दिलाई जाती है तो अपीलीय न्यायालय उस क्षतिपूर्ति को बिना किसी आधार के कम नहीं कर सकता हैहाल ही उच्चतम न्यायालय ने दलबीर कौर ढिल्लों बनाम पंजाब शहरी योजना एवं विकास प्राधिकरण के प्रकरण में यह सिद्धान्त प्रतिपादित के प्रकरण में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया है। उक्त प्रकरण में प्रार्थी को एक प्लाट आवंटित किया गया था। उसे पूर्व में कब्जा 1983 में देना था जो कि उसे 1998 में दिया गया। प्रार्थी ने राज्य आयोग में शिकायत की कि उसे प्लाट का कब्जा विलम्ब से देकर सेवाओं में कमी की गई है। राज्य आयोग ने प्रार्थी को क्षतिपूर्ति स्वरूप 9 लाख रूपए तथा ब्याज दिलाने के आदेश पारित किए। राष्ट्रीय आयोग ने उक्त 9 लाख रूपए की क्षतिपूर्ति को अत्यधिक बताया और उसे 4 लाख रूपए कर दिए। राष्ट्रीय आयोग ने चार लाख रूपए की क्षतिपूर्ति को पर्याप्त बताकर मामले को निपटाया है और कोई कारण नहीं बताया गया। उच्चतम न्यायालय में मामले को 6 माह में निपटारे के आदेश भी पारित किए। इस प्रकार से एक बार दिलाई गई क्षतिपूर्ति को बिना किसी आधार व औचित्य के, बिना साक्ष्य व रिकार्ड पर विचार किए कम कर उपभोक्ता के हितों के प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किए जा सकते।
उपभोक्ता जागो - अधिकार पाओ हार्डवेयर उत्पाद जैसे-पाईप , रंग,लोहे के सामान खरीदने सें पहले उसके आई.एस.आई. मार्का होने कि जॉच-पडताल करे एवं बिल अवश्य प्राप्त करे
उपभोक्ता जागो - अधिकार पाओ वर्तन -प्रेसर कूकर खरीदने से पहले उसके आई.एस. ___ आई. मार्का होने कि जॉच-पडताल करे एवं बिल अवश्य प्राप्त करे