कैसे दायर करें शिकायत उपभोक्ता वह है जो वस्तु या सेवा को धन/शुल्क अदा कर उपभोग करता हैवस्तु या सेवा में दाष हान पर उपभाक्ता शिकायतकर्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता (संशोधना लागू होने के बाद 20 करना लाख रूपये तक) पांच लाख रूपए तक की शिकायत जिला डाक मंच, जो कि प्रत्येक जिला मुख्यालय पर स्थित है, में कर दोष सकता हैइसके बाद बीस लाक्ष रूपए तक (संशोधन लागू होने हुआ के पश्चात 20 लाख रूपए से ऊपर 1 करोड़ रूपए तक) के पत्रोंपरिवाद/ शिकायत राज्य आयोग में प्रस्तुत कर सकता है, जो व कि राजस्थान का राजधाना जयपुर मस्थित हैबास लाख स नुकसान ऊपर (संशोधन लागू होने के बाद 1 करोड़ रूपए से ऊपर) की शिकायत शिकायत शिकायतें राष्ट्रीय आयोग जो कि नई दिल्ली में स्थित है, में की अनुतोष जा सकती है। इसके उपभोक्ता संरक्षण कानून में वे सभी शिकायत करने के पात्र हैं जो किसी वस्तु या सेवा का उपयोग करें एवं उसके तगों तथ्यों बदले में धन/शुल्क का भुगतान करें या भविष्य में भुगतान सत्यापित करने का वादा करें या भुगतान का कुछ भाग अग्रिम अदा करेंउपभोक्ता अपनी शिकायत किसी वस्तु या सेवा के उपभोग से नुकसान व क्षति होने पर वस्तु के उत्पादकर्ता, डीलर, विक्रेता के विरूद्ध कर सकता है एवं सेवा देने वाले के विरूद्ध भी कर सकता है। उपभोक्ता अपनी शिकायत वहीं पर दायर कर सकता है जहां कि विपक्षी पक्षकार रहता हो, या उसका एजेन्ट/डीलर रहाता हो या विपक्षी कारोबार करता हो या जहां वस्तु/सेवा को प्राप्त किया गया हो। जैसे उदाहरण के लिए कोरियर से लिफाफा जयपुर से मुम्बई भेजा और वह नहीं पहुंचा तो कोरियर वाले की सेवा में कमी के लिए शिकायत जयपुर के जिला मंच में की जा सकती है। उपभोक्ता को अपनी हानि का विवरण शिकायत में स्पष्ट करना चाहिए, वस्तु/सेवा में क्या-क्या दोष रहे एवं इस कारण उपभोक्ता को कितना और किस प्रकार नुकसान हुआ, शिकायत के साथ बिल, गांरटी, वाउचर व की जानी चाहिए, शिकायतकर्ता को वस्तु या सेवा दोष से होने वाली क्षति/ नुकसान बाबत वांछित क्षतिपूर्ति का विवरण भी दिया जाना चाहिए। सर्वप्रथम शिकायतकर्ता को उपभोक्ता अदालत का नाम लिखना चाहिए अन्यथा सेवा में अध्यक्ष महोदय, जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण / राज्य आयोग-उपभोक्ता संरक्षण, राष्ट्रीय आयेग-उपभोक्ता संरक्षण, राष्ट्रीय आयोग-उपभोक्ता संरक्षण, जहां भी परिवाद पेश करना हो वह लिखना चाहिए उसके पश्चात् शिकायत संख्या, वर्ष अंकित कर खाली स्थान छोड़ऋ देना चाहिएइससे आगे शिकायतकर्ता को अपना नाम व डाक का पूरा स्पष्ट पता वर्णित करना चाहिए। इसके बाद विपक्षी पक्षकार/पक्षकारों के नाम व डाक क पूरे स्पष्ट पते अंकित करने चाहिए। जो वस्तु/सेवा के दोष से शिकायतकर्ता को क्या नुकसान हुआ, किस-किस प्रकार हुआ यह विवरण दिया जाना चाहिए। विपक्षी को दिए गए पत्रों/शिकायतों का विवरण दिया जाना चाहिए, रसीद, गारंटी व अनुबंध का विवरण देना चाहिए, वस्तु/सेवा का मूल्य व नुकसान की क्षतिपूर्ति की राशि वर्णित की जानी चाहिए तथ शिकायत के शिकायत के पक्ष में दस्तावेजी साक्ष्य व विवरण तथा अन्त में अनुतोष क्या-क्या चाहिए इसका विवरण दिया जाना चाहिए। इसके पश्चात् दाएं हाथ की ओर नीचे शिकायतकर्ता को अपने हस्ताक्षर करने चाहिए। शिकायत के साथ शिकायत के तगों की पलके तथ्यों की पुष्टि के लिए शपथ पत्र जो कि नोटेरी पब्लिक से सत्यापित करवाया जाए भी पेश किया जाना चाहिए।
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